प्राचिन भारत का इतिहास – इसवी के बाद घटनाक्रम
PRACHIN BHARAT KA ITIHAS – G.K IN HINDI
भारत का इतिहास तीन भागों में बटा हुआ है – प्राचीन भारत का इतिहास, मध्यकालीन भारत का इतिहास और अर्वाचीन भारत का इतिहास| यहां पर हम प्राचीन भारत के इतिहास की कुछ ऐसी घटनाएं है जो हमारे लिए बहुत ही महत्व रखती हैं,और किसी भी स्पर्धात्मक परीक्षा के अंदर इससे जुड़े हुए प्रश्न पूछे जाते हैं| तो हम यहां पर प्राचीन भारत का जो इतिहास है ,उसकी घटनाक्रम इसविसन के बाद जो बनी हुई है, उन सभी को हम यहां आपके लिए दर्शाते हैं|
- 20-46 – तक्षशिला का महान इन्डो-पर्शियन शासक गोंडोफेर्निस, भारत के संत थॉमस
- 45 – यूची लोगों द्वारा उत्तर पश्चिम भारत के कुजूर कैडफिशेज के नेतृत्व में आक्रमण, जिसने यूची जनजातियों को एकजुट करके कुषाण साम्राज्य की स्थापना की
- 46 – ग्रिक नाविक हिप्पोलस द्वारा मानसून हवाओं की खोज
- 64 – चीनी सम्राट मिग्ती ने बौद्ध ग्रंथों के लिए भारत में प्रतिनिधि भेजा
- 77 – प्लिनी की “नेचुरल हिस्ट्री”
- 78 – कनिष्क द्वारा शक सवंत की शुरुआत
- 78 – 100 – कनिष्क का काल, कुषाण साम्राज्य का चरमोत्कर्ष
- 80 – 128 – गौतमीपुत्र सातकर्णि तथा वशिष्टि पुत्र पुलमाबी के आधिन सातवाहनों का पुनरुत्थान
- 130 – 150 – पश्चिमी भारत का महान शक-क्षत्रप रूद्रदामा प्रथम
- 226 – पर्शिया में सासनीयन वंश की स्थापना
- 250 – सातवाहन साम्राज्य का विघटन
- 320 – चंद्रगुप्त प्रथम द्वारा गुप्त संवत की शुरुआत
- 320-325 – चंद्रगुप्त प्रथम का शासन काल
- 335-375 – समुद्रगुप्त का काल, जो सैन्य विजयों के कारण भारतीय “नेपोलियन” कहा जाता है
- 360 – समुद्रगुप्त के दरबार में श्रीलंका के राजदूत का आगमन
- 375-413 – चंद्रगुप्त द्वितीय का शासन काल गुप्त राज्य का पश्चिम में विस्तार तथा संस्कृत साहित्य का चरमोत्कर्ष
- 405-411 – फाहियान भारत में
- 413-455 – कुमारगुप्त प्रथम का शासनकाल,नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना
- 455-467 – समुद्रगुप्त का शासन काल,हूणों का प्रथम आक्रमण
- 467-540 – गुप्त वंश का पतन
- 500-527 – तोरमाण एवं मिहिरकुल के अधीन उत्तर भारत में हूणों का शासन
- 527- यशोधर्मन द्वारा मिहिरकुल की पराजय
- 543-755 – बादामी के चालुक्य
- 547 – कॉसमॉस की ‘इंडिकोप्लेउस्तेस’
- 560-903 – कांचीपुरम के महान पल्लव
- 606-647 – हर्षवर्धन का काल
- 622 – हिजरी (मुस्लिम) सवंत की शुरुआत
- 625 – फारस के शासक खुसरो द्वितीय के दरबार में पुलकेशिन द्वितीय का राजदूत
- 630 – नर्मदा के किनारे हर्ष की पुलकेशिन द्वितीय से मुठभेड़
- 630-643 – हेनसांग भारत में
- 630-1070 – वेंगी के पूर्वी चालूक्य
- 634 – पुलकेशिन द्वितीय का ऐहोल अभिलेख
- 642 – कांची के नरसीवर्मन प्रथम द्वारा बदामी पर अधिकार
- 643 – प्रयाग में हर्ष की पंचवर्षीय सभा
- 648 – भास्करवर्मन (कामरूप का शासक) ने हर्ष के उत्तराधिकारी को कन्नौज की गद्दी पर बिठाने में हेनसांग (चीनी राजदूत) की मदद की
- 675-685 – नालंदा विश्वविद्यालय में इत्सिग का आगमन
- 700-728 – कांची के नरसिंहवर्मन द्वितीय का शासन काल, समृद्धि एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का चरमोत्कर्ष
- 712 – सिंध पर अरब अधिकार
- 743-789 – संतरक्षित एवं पदमसंभव (बौद्ध भिक्षु) तिब्बत में